लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2718
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

अध्याय - 9
शक्ति प्रबन्धन

(Energy Management)

गृह-प्रबंधन में शक्ति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। गृह प्रबंधन के विशेषज्ञों ने शक्ति को एक प्रयास के रूप में माना है। शक्ति को कार्य के रूप में भी दर्शाया जा सकता है यद्यपि कि शक्ति को न केवल समझना कठिन है बल्कि प्रयोगशाला के बाहर भी इसकी माप संभव नहीं हो पाती । गुडईयर एवं फ्लोअर के अनुसार शक्ति एक निहित अथवा आन्तरिक बल हैं और कार्य करने की क्षमता है। जबकि ग्रांस एवं क्रेण्डल के अनुसार शक्ति कैलोरी का व्यय है ।

गृह प्रबंध के दृष्टिकोण से साधन के रूप में शक्ति को अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता है और इसकी विद्यमानता और संभावित उपयोगों की जानकारी गृहिणी के लिए अत्यन्त आवश्यक मानी जाती है। शक्ति का उपयोग अन्य साधनों के साथ मिश्रित रूप में प्रबंध प्रक्रिया में होता है। शक्ति का प्रबंधन वस्तुतः इस रूप में किया जाना चाहिए कि पर्याप्त मात्रा में शक्ति उपलब्ध हो सके और शक्ति का उपयोग उसे संरक्षित करने की दिशा में भी हो सके। शक्ति के प्रबंध का लक्ष्य महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे यह तय होता है कि कितनी और किस प्रकार की शक्ति का उपयोग किया जाये। यदि किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में अधिक महत्त्वपूर्ण शक्ति लग रही हो तो लक्ष्य को भी बदला जा सकता है और ऐसा लक्ष्य तय किया जा सकता है जो उपलब्ध शक्ति की सीमा के भीतर हो क्योंकि कुछ शक्ति अन्य कार्यों के लिए भी बचाकर रखनी आवश्यक होती है।

शक्ति पर अनेक घटकों का प्रभाव पड़ता है जिनमें गृहिणी का स्वास्थ्य आहार, विश्राम उसके चारों ओर का परिवेश, कार्य करने की आदतें, उसका पारिवारिक संगठन, साधनों के प्रति जागरूकता तथा मनोरंजन महत्त्वपूर्ण हैं।

अन्य कार्यों के लिए प्रक्रियाओं की भाँति शक्ति प्रबंधन की भी एक प्रक्रिया होती है इस प्रक्रिया को अपना कर शक्ति का सुनियोजित उपयोग किया जा सकता है। शारीरिक शक्ति का उपयोग करने पर थकान भी उत्पन्न होती है। थकान कई प्रकार की हो सकती है और थकान से बचने के उपाय भी हैं। कार्यों की विविधता, रुचिपूर्णता तथा मनोरंजन से थकान पर काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है और शक्ति को बचाकर दूसरे आवश्यक कार्यों में प्रयुक्त किया जा सकता है।

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

• गृह प्रबंध में ही नहीं बल्कि हमारे जीवन के सभी पहलुओं में शक्ति का कुछ न कुछ प्रयोग अवश्य होता है। शक्ति ही हमें कार्य करने की क्षमता प्रदान करती है। जितनी अधिक शक्ति हमारे पास होगी हम उतना ही अधिक और कठिन कार्य कर पायेंगे।
• शक्ति को एक साधन माना जाता है और समय के साथ जोड़ा जाता है।
• संकुचित अर्थ में शक्ति को शक्ति के चपाचपय के रूप में लिया जाता है।
• विस्तृत अर्थ में शक्ति को कार्य हेतु वांछित ऊर्जा के रूप में अपनाया जाता है। वस्तुतः हमारे शरीर में संचित ऊर्जा की मात्रा ही हमारी शक्ति होती हैं।
• गृह प्रबंध में शक्ति को प्रयत्न के रूप में लिया जाता है।
• शक्ति एक अमूर्त वस्तु हैं, अतः साधन के रूप में यह अदृश्य होती है।
• प्रत्येक व्यक्ति, प्रत्येक गृहिणी में शक्ति की मात्रा अलग-अलग होती है।
• कार्य को पूरा करने की गति भी शक्ति की परिचायक होती है।
• रेयान तथा स्मिथ के अनुसार, “प्रयास का आशय मुख्य रूप से व्यक्ति के अनुभवों से होता हैं।” 
• ग्रांस तथा क्रेण्डल के अनुसार, “शक्ति कैलोरी का व्यय है।”
• स्टीडल एवं ब्रेटन के मतानुसार, “प्रयास शब्द 'शक्ति' से ज्यादा व्यापक है। "
• गुडईयर एवं फ्लोअर का कहना है कि- “ शक्ति एक निहित अथवा आन्तरिक बल है तथा कार्य करने की क्षमता है।
• ओ.पी. वर्मा के अनुसार, “वस्तुतः किसी व्यक्ति में निहित ऊर्जा की मात्रा ही उसकी शक्ति कहलाती है, जिसका उपयोग हम अपने विभिन्न कार्यों में करते हैं। "
• गृह-प्रबंधन के विद्वानों ने शक्ति को प्रयास के रूप में माना है। "
• शक्ति को कार्य के रूप में इसकी उपस्थिति को दर्शाया जाता है क्योंकि किसी व्यक्ति में जितनी अधिक शक्ति होगी वह उतना ही अधिक कार्य कर पायेगा ।
• शक्ति एक जटिल अवधारणा है। इसे प्रयोगशाला के बाहर मापना संभव नहीं होता। शक्ति " को अनेक कारक प्रभावित करते हैं जिनमें मुख्य हैं-
   1. स्वास्थ्य
   2. आहार
   3. विश्राम
   4. पर्यावरण
   5. कार्य करने की आदतें
   6. पारिवारिक संगठन
   7. निर्धारित स्तर
   8: साधनों के प्रति जागरूकता 
   9. मनोरंजन
• स्वास्थ्य अच्छा होने पर व्यक्ति का शरीर अधिक शक्तिवान एवं स्फूर्तिमय और थकान की मात्रा पर निर्भर करती है।
• शक्ति के आयोजन में मुख्य बात यह तय करना है कि कैसे तथा कब शारीरिक कार्य किये जायें तथा असुविधा एवं थकान को मिटा कर शक्ति को कम से कम किया जाये ।
• स्त्रियों में थकान का मुख्य कारण सही पोषण का न मिलना तथा अत्यधिक कार्यभार की वजह से नींद का पूरा न होना है। धीरे-धीरे गृहिणियाँ इसके कारण अनेक रोग की शिकार हो जाती हैं जिसमें सिर दर्द, माइग्रेन, हमेशा थका रहना, बालों का झड़ना, एनीमिया, चेहरे का रंग रूप फीका पड़ जाना, चेहरे पर झाईयाँ पड़ जाना, आँखों के नीचे काले घेरे बन जाना, मोटापा आ जाना, बवासीर हो जाना आदि समस्यायें हो जाती है । परन्तु इन समस्याओं का बहुत सस्ता समाधान अब गारण्टी के साथ 100% देशी जड़ी-बूटियों से बनी दवाओं के द्वारा उपलब्ध हैं जिसके लिए आप 964885810 या 8574232007 या 7080591552 पर काल कर सकते/सकती हैं।
• शक्ति के प्रबंध की प्रक्रिया में मुख्यतः चार बातों पर ध्यान दिया जाता है -
   1. शक्ति का आयोजन करना
   2. शक्ति की योजना को नियंत्रित करना
   3. शरीर यांत्रिकी का प्रयोग करना तथा
   4. शक्ति-व्यवस्था का मूल्यांकन करना ।
• शारीरिक शक्ति अधिक तथा लगातार उपयोग करने से थकान आती है। जिसके कारण कुछ समय बाद कार्य कर पाना कठिन हो जाता है।
• ग्रांस तथा क्रेण्डल के अनुसार, थकान किये गये कार्य का शरीर पर होने वाला प्रभाव होता है । "
• निकोल एवं डोर्सी का मानना है कि – “पूर्व में किये गये कार्य के कारण हम शारीरिक थकान का अनुभव कर सकते हैं जो वर्तमान में हमारी कार्य क्षमता को कम कर देती है।
• ग्रांस, क्रेण्डल तथा नोल के अनुसार, “थकान" शब्द उन विभिन्न शारीरिक दशाओं के संदर्भ में उपयोग किया जाता है जो कि क्रियाशीलता एवं विश्राम में बाधक होती हैं।"
• थकान मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं-
   1. शारीरिक थकान एवं
   2. मानसिक थकान
• मानसिक थकान भी दो प्रकार की होती है -
   1. नीरसता तथा
   2. कुंठा या नैराश्य ।
• थकान से बचाव हेतु निम्न उपाय हैं-
   1. उच्च प्रोत्साहन
   2. शारीरिक थकान एवं विश्राम की अवधियाँ
   3. कार्य को रुचिपूर्ण बनाना
   4. कार्यों में विविधता तथा
   5. मनोरंजन |
• निकल तथा डोर्सी ने शारीरिक गतिविधियों को निम्न प्रयासों में वर्गीकृत किया है -
  1. मानसिक कार्य
   2. दृष्टि सम्बन्धी कार्य
   3. हाथ सम्बन्धी कार्य
   4. पैर सम्बन्धी कार्य तथा
   5. धन सम्बन्धी कार्य ।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 परिधान एवं वस्त्र विज्ञान का परिचय
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 तन्तु
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 सूत (धागा) का निर्माण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 तन्तु निर्माण की विधियाँ
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 वस्त्र निर्माण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 गृह प्रबन्धन का परिचय
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 संसाधन, निर्णयन प्रक्रिया एवं परिवार जीवन चक्र
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 समय प्रबन्धन
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 शक्ति प्रबन्धन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 धन प्रबन्धन : आय, व्यय, पूरक आय, पारिवारिक बजट एवं बचतें
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 कार्य सरलीकरण एवं घरेलू उपकरण
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book